चंद्रशेखर आजाद पार्क||कंपनी गार्डेन|| ALFRED PARK|| SAHEED PARK|| टिकट।। समय।।
चंद्रशेखर आजाद पार्क, उत्तर प्रदेश के संगम नगरी प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद जिसे यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा 16 अक्टूबर 2018 को प्रयागराज कर दिया गया) के बीचोबीच स्थित है। इस पार्क का शुरुआती नाम अल्फ्रेड पार्क (प्रिंस अल्फ्रेड सन 1870 में प्रयागराज घूमने आया था तो उसके नाम पर), फिर इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी के राज में कम्पनी गार्डेन फिर अंततः भारत देश की आजादी के बाद इस पार्क का नाम देश के महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के नाम पर रखा गया। इसे शहीद पार्क भी कहते हैं।
पार्क में क्या क्या है-
क्षेत्रफल की दृष्टि से यह पार्क बहुत ही बड़ा है जो लगभग 133 हेक्टेयर की भूमि में फैला हुआ है। इस पार्क में जाने के लिए कुल आठ गेट है।
इस पार्क में
- अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा
- इलाहाबाद संग्रहालय- इसमें प्रयागराज तथा आसपास के इलाकों से खुदाई में प्राप्त मूर्तियों और पुरानी वस्तुओं को संभालकर रखा गया है। गांधी जी का चश्मा तथा शहीद चंद्रशेखर आजाद की रिवॉल्वर इसी संग्रहालय में है।
- विक्टोरिया मेमोरियल- महारानी विक्टोरिया को याद में बनाया गया, जिसमे पहले महारानी की मूर्ति भी थी जिसे बाद में हटा दिया गया।
- इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी- इसे थार्नहिल-मेने मेमोरियल भी कहते हैं ये दोनो अंग्रेजी विद्वान थे जिनकी याद में इसे बनाया गया।
- मदन मोहन मालवीय स्टेडियम- इसका नामकरण भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय के नाम पर किया गया। यहां घरेलू क्रिकेट के अलावा और भी कई तरह के गेम खेले जाते है जैसे हॉकी, जुडो, ताइक्वांडो आदि।
- प्रयाग संगीत समिति- इसकी स्थापना सन 1926 में की गई। यहां देश के हर कोने से विधार्थी वाद्य तथा मुखर संगीत सीखने आते हैं।
- म्यूजिकल फव्वारा
- भारतीय वायु सेना का मिग 21 बाइसन एयरक्राफ्ट।
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा
यह बात सन 27 फरवरी 1931 की है, जब भारत के महान देशभक्त चंद्रशेखर आजाद एक बार कंपनी गार्डेन में कुछ प्लान कर रहे थे जिसकी सूचना अंग्रेजी अधिकारियों को मिल गई। अंग्रेजों ने पार्क को चारों तरफ से घेर लिया। पार्क में स्थित एक पेड़ की आड़ लिए यह देशभक्त अकेले ही काफी देर अंग्रेजी फौज का सामना करता रहा और अंत में जब रिवाल्वर में एक गोली बची तो उन्होंने दुश्मनों के हाथ आने के बजाय खुद को गोली मारकर 24 साल की उमर में भारत देश की धरती को अपना जीवन समर्पित कर दिया।
जिस पेड़ की छाया में आजाद वीरगति को प्राप्त हुए अंग्रेजी हुकूमत ने उस पेड़ को कटवा दिया। आजादी के बाद उसी स्थान पर एक पेड़ लगाया गया और मूछों को ताव देते हुए तथा एक हाथ में रिवॉल्वर लिए हुए चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा बनवाई गई। इस स्थान पर आकर किसी के भी अंदर देशभक्ति की भावना अपने आप उमड़ पड़ती है।
टिकट और घूमने का समय
यह पार्क सप्ताह के सातों दिन सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है।
अंदर जाने के लिए 5 रुपए का टिकट लेना पड़ता है जो कि पूरे दिन के लिए वैध रहता है आप कितनी बार भी अंदर या बाहर जा सकते हैं।
चंद्रशेखर आजाद पार्क में लोग सुबह शाम जॉगिंग तथा रनिंग के लिए आते हैं, यहां व्यायाम के लिए कई सारे साधन उपलब्ध हैं यह स्थान बच्चों, युवा, कपल्स तथा बुजुर्ग सभी के लिए उपयुक्त है।
Very nice post👍
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