असम का एक अनोखा आइलैंड- उमानंद मंदिर-Interesting facts about Umanand Temple

उमानन्दा मंदिर-


आज हम आपको असम के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होगे। उमानन्द मंदिर असम के ब्रह्मपुत्र नदी के बीचोबीच स्थित एक ऐसा मंदिर है जो भारत के सबसे छोटे नदी द्वीप भस्मांचल पहाड़ी, जिसे पिकॉक टापू भी कहते हैं, पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला आपका मन मोह लेगी। मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव, गणेश, सूर्य तथा और भी कई देवी देवताओं के चित्र को बहुत ही अच्छे ढंग से उकेरा गया है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1694 ईस्वी में अहोम वंश के पराक्रमी राजा गदाधर सिंह के आदेश पर बार फुकन गढ़गन्या हांडिक द्वारा कराया गया था। मुगल शासकों द्वारा इस मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया । हालांकि सन् 1897 ईस्वी में एक विनाशकारी भूकंप द्वारा इस मंदिर की मूल संरचना अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गई जिसे बाद में एक स्थानीय व्यापारी द्वारा पुनर्निर्मित कराया गया।




मंदिर निर्माण से संबंधित कथा -

भस्मकूट पहाड़ी के बारे में कालिका पुराण में एक कहानी मिलती है जिसके अनुसार भगवान शिव एक बार उमानंदा द्वीप पर ध्यान में लीन थे। उनका ध्यान भंग करने के लिए कामदेव उस द्वीप पर आए और भगवान शिव का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने लगे। जिससे शिव जी को क्रोध आ गया। और इस क्रोध की अग्नि में कामदेव जलकर भस्म हो गए। इस तरह इस पहाड़ी को "भस्मांचल" या "भस्मकूट" पर्वत भी कहते हैं।
मंदिर निर्माण से संबंधित एक लोक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि एक कामधेनु गाय प्रतिदिन इस पर्वत पर आती थी और दूध देकर लौट जाती थी। इस पर्वत का एक धनी व्यापारी पूरा ब्योरा जानने के लिए एक दिन गाय का पीछा किया तो उसने देखा कि गाय एक बेल के पेड़ के नीचे खड़ी होकर आराम से दूध दे रही है। व्यापारी यह देखकर घर वापस आ जाता है। उसी दिन रात को सोते समय उसे एक ईश्वरीय स्वप्न दिखाई देता है जिसमे वह देखता है कि गाय जहां दूध दे रही थी वहां शिवलिंग है। फिर वह व्यापारी सबसे प्रथम बार उमानंद मंदिर का निर्माण कराता है। इसके बाद इस मंदिर का कई बार पुनर्निमाण होता रहा।


कैसे पहुंचे-

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से उमानन्दा मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ऑटो या कैब से ब्रह्मापुत्र नदी के तट तक पहुंचना होगा।तट से मंदिर पहुंचने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। तट से आप मंदिर तक फेरी या स्टीमर के द्वारा जा सकते हैं। फेरी के आने जाने का समय निश्चित होता है। फेरी का एक तरफ किराया 20 रुपए प्रति व्यक्ति है अगर आप फेरी के छत से सफर करना चाहते हैं तो आपको 10 rs और देने होंगे जहां से बहुत अच्छा दृश्य दिखाई देता है। अगर आपको जल्दी है तो आप स्टीमर बुक करके भी जा सकते है लेकिन यह थोड़ा महंगा पड़ता है।




सावन का महीना शिव जी की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है इसलिए उमानन्दा मंदिर में सावन के महीने में अत्यधिक भीड़ रहती है। दूर दूर से लोग यहां मन्नते मागने आते है। उमानन्दा से नीलांचल पहाड़ी दिखाई देती है जहां कामाख्या देवी का भव्य मंदिर  है।

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