भीमाशंकर धाम की प्रचलित कहानी।।भीमाशंकर धाम।। भीमशंकर द्वादश ज्योतिर्लिंग।। असम का ज्योतिर्लिंग।। भीमेश्वर धाम।।

 भीमेश्वर धाम

भीमेश्वर धाम  12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो कि असम में कामरूप जिले के डाकिनी पहाड़ियों में स्थित है। कई लोगों का मानना है कि भीमशंकर धाम पूना महाराष्ट्र में स्थित है, जबकि शिवपुराण में (अध्याय 20 में श्लोक 1 से 20 तक और अध्याय 21 में श्लोक 1 से 54 तक) भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के प्रादुर्भाव की कथा बताई गई है। जिसके अनुसार ये ज्योतिर्लिंग कामरूप राज्य के इन पर्वतों के बीच यहीं स्थापित हैं। यहां पर कोई मंदिर नही है। धाम में एक ज्योतिर्लिंग है जिस पर सदैव जलधारा पड़ती रहती है। गुरचुक से धाम की ओर जाते समय रास्ते में गणेश जी का एक मंदिर है जहां पर श्रद्धालु पूजा पाठ करते हैं।






कहानी 

भीमेश्वर धाम के बारे में एक कहानी प्रचलित है जो कि शिवपुराण में लिखित है। शिवपुराण के अनुसार रावण का भाई कुंभकरण पाताल लोक की राजकुमारी कार्तिकी से स्नेह करता था। जब रावण कुंभकरण और कार्तिकी के पिता को श्री राम के विरुद्ध युद्ध के लिए आमंत्रित करने आया तो कुंभकरण ने मना कर दिया। उसने कहा जब तक मेरा विवाह कार्तिकी से नही हो जाता मैं नहीं जाऊंगा। फिर नारद के सिफारिश करने पर रावण ने कुंभकरण का विवाह कार्तिकी से करवाया। कुंभकरण की मृत्यु के पश्चात कार्तिकी का एक पुत्र हुआ जिसका नाम भीमासुर था। उसने खूब तपस्या की जिससे उसे भगवान ब्रह्मा से अलौकिक शक्तियों का वरदान प्राप्त हुआ तथा वह भगवान विष्णु से किसी भी तरीके से वह नही मारा जा सकता था। उसने भगवान विष्णु को युद्ध के लिए ललकारा। विष्णु जी ने उसकी चुनौती को स्वीकार किया और युद्ध में ब्रह्मा जी के वरदान के कारण उन्हें हारना पड़ा। इससे भीमासुर के अंदर घमंड आ गया और वह सभी राज्य के राजाओं से युद्ध करने लगा।
उसने कामरूप के राजा कमरूपेश्वर (जिन्हे प्रियधर्मन भी कहते हैं) तथा उनकी पत्नी दक्षिणादेवी को बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया। राजा तथा उनकी पत्नी भगवान शिव के परम भक्त थे वे बंदीगृह में भी भगवान शिव की पूजा अर्चना करते रहे। उनकी पूजा को भंग करने के लिए भीमासुर कई बार अपनी सेना को भेजता था। भीमासुर उन्हें मारना चाहता था। जब भीमासुर ने उन पर अपनी तलवार चलाई तो वह तलवार राजा कमरूपेश्वर के बजाय जाकर शिवलिंग पर गिरी। जिससे शिव जी प्रकट हुए और भीमासुर का वध कर दिया। उसके शरीर से जो पसीना निकला उससे एक नदी का निर्माण हुआ जिसका पानी आज भी शिवलिंग के ऊपर लगातार गिरता रहता है।
इस तरह जहां पर राजा ने शिवलिंग की पूजा की उसका नाम भीमेश्वर पड़ गया बाद में यह भीमाशंकर नाम से जाना जाने लगा।





कैसे पहुंचे

भीमाशंकर धाम गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से लगभग १३ किमी की दूरी पर पमोही गांव में स्थित है। आप ऑटो , ओला कैब की बुकिंग से धाम के मुख्य द्वार तक पहुंच सकते है। सामान्यतया यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती है किंतु महाशिवरात्रि के समय बहुत अधिक भीड़ रहती है। 

2 Comments

Previous Post Next Post